दूसरी लहर में कोरोना से 80 आशा वर्करों की मौत, 24 मई को होगी हड़ताल

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सारा काम आशा वर्कर्स के जिम्मे, ना वेतन-भत्ता, ना सुरक्षा

संविदा स्वास्थ्यकर्मी आशा वर्कर्स की यूनियन ने स्थायीकरण और सुरक्षा उपकरण दिए जाने की मांग को लेकर 24 मई को देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है।

ऑल इंडिया कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ़ आशा वर्कर्स से जुड़ी ट्रेड यूनियन एक्टिविस्ट सुरेखा ने कहा कि केंद्र सरकार ने प्रति माह 1000 रुपये का भत्ता दिए जाने की घोषणा की थी लेकिन कई राज्यों में कई महीने से मानदेय तक नहीं दिया गया है।

ट्रेड यूनियन का कहना है कि इस अप्रैल से मई के बीच अबतक कोरोना से 80 आशा वर्कर्स की मौत हो चुकी है, इसके बावजूद सरकार न तो सुरक्षा उपकरण मुहैया करा रही है न ही समय से मानदेय दे रही है।

आशा वर्कर्स की हरियाणा राज्य यूनियन ने एक बयान जारी कर कहा है कि आशा वर्कर कोरोना महामारी के दौरान अगली पंक्ति में रहकर कोरोना संबंधित सभी सर्वे, टीकाकरण और सैंपलिग का काम कर रही हैं। लेकिन सरकार व स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सेफ्टी किट में सैनिटाइजर, मास्क, गल्ब्ज व पीपीई किट तक नहीं मिल रहे।

उल्लेखनीय है कि घर घर जाकर कोरोना मरीज़ों की पहचान करने से लेकर टीकाकरण तक के कार्यक्रमों में आशा वर्करों को लगाया गया है जबकि उन्हें न्यूनतम मज़दूरी तक नहीं दी जाती है।

यूनियन ने मांग की है कि कोरोना जैसी महामारी में प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी की बजाय आशा वर्कर्स को इस काम में लगाना उनकी जान को ख़तरे में डालना है।

सरकारी आंकड़ों के हिसाब से देश में क़रीब 10 लाख आशा वर्कर्स हैं जो गांव गांव कस्बे कस्बे की स्वास्थ्य व्यवस्था का जिम्मा संभाल रही हैं।

मांगें

कोरोना महामारी में काम करवाना है तो सरकार सभी सुविधाएं दे।

आशा वर्करों को जोखिम भत्ता व बीमा योजना में शामिल किया जाए।

संक्रमित आशा वर्करों को पूरे इलाज का खर्च दिया जाए।

उचित जीने लायक वेतन दिया जाए।

आशाओं के साथ पीएचसी व सीएचसी पर सम्मानजनक व्यवहार किया जाए।

हड़ताल को सफल बनाने के लिए जिले की आशा वर्कर गांव स्तर पर अपनी मांगों की पट्टियां लेकर सरकार की खोखली घोषणाओं का विरोध करेंगी।

वर्कर्स यूनिटी से साभार

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