24 टीमें आमने-सामने होंगी, रोनाल्डो की पुर्तगाल उतरेगी खिताब बचाने
11 जून से UEFA यूरो कप 2020 का आगाज होने जा रहा है। इसे UEFA यूरोपियन फुटबॉल चैंपियनशिप और UEFA यूरोपियन चैंपियनशिप के नाम से भी जाना जाता है। इस टूर्नामेंट का आगाज 1960 में हुआ था और यह हर 4 साल पर खेला जाता है। हालांकि, 2020 में इसे कोरोना के चलते एक साल पोस्टपोन करना पड़ा। फीफा वर्ल्ड कप के बाद इस टूर्नामेंट का सबसे ज्यादा महत्व है और इसलिए इसे मिनी वर्ल्ड कप भी कहा जाता है। यूरोप के दिग्गज देश इस टूर्नामेंट में आमने-सामने होते हैं।
अब तक इस टूर्नामेंट को ज्यादा से ज्यादा 2 देशों ने होस्ट किया है। 60 साल के टूर्नामेंट के इतिहास में पहली बार 11 देश मिलकर इस टूर्नामेंट की मेजबानी करेंगे। इनमें अजरबैजान, डेनमार्क, इंग्लैंड, जर्मनी, हंगरी, इटली, नीदरलैंड्स, रोमानिया, रूस, स्कॉटलैंड और स्पेन शामिल हैं। टूर्नामेंट में 24 टीमें खेलेंगी। 11 जुलाई को फाइनल खेला जाएगा। स्टार स्ट्राइकर क्रिस्टियानो रोनाल्डो की टीम पुर्तगाल खिताब बचाने उतरेगी। 2016 में पुर्तगाल ने फ्रांस को हराकर ट्रॉफी पर कब्जा किया था।
2021 में होने पर भी यूरो कप 2020 क्यों पड़ा नाम?
यूरो 2020 का आयोजन पिछले साल ही होना था, लेकिन कोरोना वायरस के चलते इसे एक साल टाल दिया गया। हालांकि, इसके बाद भी इसे यूरो 2020 ही कहा जा रहा है। ये फैसला UEFA की कार्यकारी समिति ने पिछले ही साल एक बैठक के बाद ले लिया था। दरअसल, 1960 में यूरोपियन फुटबॉल चैंपियनशिप का आगाज हुआ था। 2020 में इसके 60 साल पूरे हुए थे।
ऐसे में UEFA ने टूर्नामेंट के जरिए जश्न मनाने की तैयारी की थी। पर कोरोना की वजह से ये संभव नहीं हो पाया। ऐसे में UEFA ने 60 साल पूरा होने का जश्न मनाने के लिए 2021 में होने वाली चैंपियनशिप को भी यूरो 2020 का ही नाम दिया। UEFA ने अपने बयान में कहा कि यूरो 2020 लोगों को ये याद दिलाएगा कि कैसे पूरा फुटबॉल परिवार कोरोना महामारी से मुकाबला करने के लिए एक साथ आया था।
यूरो कप का इतिहास
पहला यूरो कप टूर्नामेंट 1960 में खेला गया था। हालांकि, इसके पीछे का आइडिया काफी पुराना है। 1927 में फ्रेंच फुटबॉल फेडरेशन के एडमिनिस्ट्रेटर हेनरी डेलॉने ने एक पैन यूरोपियन फुटबॉल टूर्नामेंट कराने का प्रस्ताव रखा था। इसके कुछ साल बाद डेलॉने को UEFA का पहला जनरल सेक्रेटरी भी बनाया गया था। हालांकि, उनके प्रस्ताव को पास होने में 31 साल लग गए। 1958 में पहली बार इस टूर्नामेंट का ब्लू प्रिंट तैयार किया गया था। इससे 3 साल पहले, यानी 1955 में डेलॉने का निधन हो चुका था।
डेलॉने के सम्मान में यूरो कप ट्रॉफी को उनका नाम दिया गया। शुरुआती दौर में इस ट्रॉफी के आगे ”चैंपियोनाट डी’यूरोप” और ”कूप हेनरी डेलॉने” लिखा जाता था और पीछे एक लड़के की तस्वीर बनी होती थी। इस ट्रॉफी को बनाने की जिम्मेदारी डेलॉने के बेटे पिअरे को दी गई थी। 2008 में इस ट्रॉफी को रीडिजाइन किया गया और इसकी साइज भी बढ़ाई गई। नई ट्रॉफी सिल्वर से बनी है। इसका वजन 8 किलोग्राम है। जबकि, लंबाई 60 सेंटीमीटर (24 इंच) है। अब जीतने वाली टीम का नाम पीछे दर्ज किया जाता है।
शुरू में UEFA नेशंस कप था टूर्नामेंट का नाम
1960 में जब यूरो कप शुरू हुआ तो उस समय इस प्रतियोगिता का नाम यूरोपियन नेशंस कप था। 1968 में इसका नाम बदलकर UEFA यूरोपियन चैंपियनशिप किया गया। पहले संस्करण में केवल 4 टीमों ने हिस्सा लिया था। इसमें चेकोस्लोवाकिया, फ्रांस, सोवियत यूनियन और यूगोस्लाविया शामिल थे। पहला एडिशन सोवियत यूनियन ने यूगोस्लाविया को हराकर अपने नाम किया था। स्पेन ने सोवियत यूनियन के साथ क्वार्टरफाइनल मैच खेलने से मना कर दिया और टूर्नामेंट से बाहर हो गया।
वहीं, इंग्लैंड, वेस्ट जर्मनी और इटली जैसी टीमों ने भी 1960 में टूर्नामेंट खेलने से मना कर दिया था। तब ऐसा लगने लगा था कि इस टूर्नामेंट में 16 टीमों का जुटना भी मुश्किल हो जाएगा। 1976 तक 4-4 टीमों का सिलसिला चलता है। 1980 में पहली बार 8 टीमों ने हिस्सा लिया। 1996 में इसकी संख्या बढ़कर 16 हो गई। 2016 में सबसे ज्यादा 24 टीमों ने टूर्नामेंट में हिस्सा लिया। इस तरह इस टूर्नामेंट की लोकप्रियता बढ़ती गई। इस साल भी टूर्नामेंट में 24 टीमें ही हिस्सा ले रही हैं।
यूरो कप में 2 तरह के मुकाबले होते हैं। पहला क्वालिफायर्स और दूसरा फाइनल्स। मेजबान देश को छोड़कर यूरोप के सारे देश क्वालिफाइंग टूर्नामेंट में हिस्सा लेते हैं। मेजबान देश को फाइनल्स के लिए ऑटोमैटिक एंट्री मिलती है। मेन टूर्नामेंट जिसे फाइनल्स कहते हैं, उसमें क्वालिफाई करने वाली टीमों को ग्रुप में बांटा जाता है। 2016 और इस साल 24 टीमों ने क्वालिफाई किया है।
इसके लिए 4-4 टीमों के 6 ग्रुप बनाए गए। इसके बाद हर की ग्रुप की टॉप 2 टीमें प्री-क्वार्टरफाइनल के लिए क्वालिफाई करती हैं। इसके साथ ही सभी ग्रुप में से तीसरे स्थान पर रहने वाली टॉप-4 टीमें भी राउंड ऑफ-16 में पहुंचती हैं। प्री-क्वार्टरफाइनल के बाद क्वार्टरफाइनल, सेमीफाइनल और फाइनल खेला जाता है।
1996 से 2012 तक मेन टूर्नामेंट के लिए 16 टीमों ने क्वालिफाई किया। इसके लिए 4 टीमों के 4 ग्रुप बनाए गए। इसके बाद क्वार्टरफाइनल, सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबले हुए।
1984 से 1992 तक 8 टीमें मेन टूर्नामेंट में पहुंची थीं। इसके लिए 4-4 टीमों के 2 ग्रुप बनाए गए। दोनों ग्रुप में से टॉप-2 टीम सेमीफाइनल में पहुंची और फिर फाइनल खेला गया।
1980 में पहली बार 8 टीमों ने हिस्सा लिया था। इस टूर्नामेंट में सेमीफाइनल नहीं खेला गया था। इसके लिए दोनों ग्रुप की टॉप टीम सीधे फाइनल में पहुंची थी। वहीं, दूसरे स्थान पर मौजूद टीमों ने तीसरे स्थान के लिए मैच खेला था।
1960 से 1976 तक 4 टीमें होने के कारण सीधे सेमीफाइनल, फाइनल और तीसरे स्थान के लिए मैच खेला जाता था। 1968 में हालांकि, 5 मुकाबले खेले गए।
ऐसा इसलिए क्योंकि फाइनल में इटली और यूगोस्लाविया का मैच एक्स्ट्रा टाइम (90+30 मिनट) के बाद भी 1-1 रहा था।
तब पेनल्टी शूटआउट नहीं हुआ करता था। इसलिए दोनों टीमों के बीच एक और फाइनल मैच खेला गया। इटली ने इसे 2-0 से जीता था।
सबसे ज्यादा बार टूर्नामेंट जीतने वाली टीम
इस साल यूरो कप का 16वां संस्करण खेला जाएगा। अब तक हुए 15 यूरोपियन चैंपियनशिप टूर्नामेंट्स को 10 टीमों ने जीता है। जर्मनी और स्पेन ने सबसे ज्यादा 3-3 बार टूर्नामेंट जीता। फ्रांस ने 2 बार यूरो कप टाइटल को अपने नाम किया है। जबकि, सोवियत यूनियन, इटली, चेकोस्लोवाकिया, नीदरलैंड्स, डेनमार्क, ग्रीस और पुर्तगाल ने 1-1 बार टाइटल अपने नाम किया है।
स्पेन दुनिया की इकलौती टीम है, जिसने लगातार 2 बार यूरो कप का टाइटल जीते हैं। वहीं सबसे ज्यादा गोल करने वालों में फ्रांस के माइकल प्लातिनी और पुर्तगाल के क्रिस्टियानो रोनाल्डो 9-9 गोल के साथ सबसे आगे हैं। अगर रोनाल्डो एक और गोल करते हैं, तो वे टूर्नामेंट के इतिहास में सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी बन जाएंगे।
अब तक टूर्नामेंट के 15 संस्करण को 14 देशों ने होस्ट किया है। 2000, 2008 और 2012 संस्करण को 2 देशों ने मिलकर होस्ट किया था। ये पहली बार है जब 11 देशों में यूरो कप कराया जा रहा है। ग्रुप स्टेज, प्री क्वार्टफाइनल, क्वार्टफाइनल, सेमीफाइनल और फाइनल सभी को होस्ट सिटी के मुताबिक बांटा गया। इस बार लंदन, ग्लास्गो, कोपेनहेगन, सेविल, बुडापेस्ट, एम्सटर्डम, रोम, म्यूनिख, बाकू, बुखारेस्ट और सेंट पीटर्सबर्ग में मैच होंगे।
ग्रुप स्टेज, प्री-क्वार्टरफाइनल, सेमीफाइनल और फाइनल : लंदन (इंग्लैंड)।
ग्रुप स्टेज और क्वार्टरफाइनल : बाकू (अजरबैजान), म्यूनिख (जर्मनी), रोम (इटली) और सेंट पीटर्सबर्ग (रूस)।
ग्रुप स्टेज और प्री क्वार्टरफाइनल : एम्सटर्डम (नीदरलैंड्स), बुखारेस्ट (रोमानिया), बुडापेस्ट (हंगरी), कोपेनहेगन (डेनमार्क), ग्लास्गो (स्कॉटलैंड), सेविला (स्पेन)।
ग्रुप स्टेज के मुकाबलों की मेजबानी
ग्रुप A: रोम, बाकू
ग्रुप B : सेंट पीटर्सबर्ग, कोपनहेगन
ग्रुप C : एम्सटर्डम, बुखारेस्ट
ग्रुप D : लंदन, ग्लास्गो
ग्रुप E : सेविला, सेंट पीटर्सबर्ग
ग्रुप F : म्यूनिख, बुडापेस्ट
कोरोना को लेकर टूर्नामेंट में रूल चेंज
मार्च 2021 को UEFA एग्जीक्यूटिव कमेटी ने 5 सब्सटिट्यूट का इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी थी। पहले 3 ही सबस्टिट्यूट की इजाजत थी। कोरोना की वजह से यह बदलाव किया गया, ताकि खिलाड़ियों पर दबाव कम हो।
इसके साथ ही एक्स्ट्रा टाइम, यानी फुल टाइम (90 मिनट) के बाद छठा सब्सटिट्यूट भी इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि, टीमों को फुल टाइम तक सबस्टिट्यूशन के 3 ही मौके मिलेंगे। एक्स्ट्रा टाइम में चौथा मौका मिलेगा।
इसके साथ ही टीमों को 26 खिलाड़ियों के स्क्वॉड के लिए भी मंजूरी दी गई। हालांकि, कोच अपने मैच शीट में सिर्फ 23 खिलाड़ियों का ही जिक्र करेंगे। इसमें से 11 स्टार्टिंग-11 और 12 सब्सटिट्यूट के तौर पर खेलेंगे।
अगर किसी टीम के कुछ खिलाड़ियों को इमरजेंसी में क्वारैंटाइन करना पड़ता है और इसके बाद भी टीम के पास 13 खिलाड़ी मौजूद हैं, तो मैच खेला जाएगा। उसे रद्द नहीं किया जाएगा।
अगर कोरोना की वजह से मैच नहीं हो पाता है, तो UEFA एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा सभी ऑप्शन्स को देखते हुए उसे 48 घंटे के अंदर कराया जाएगा। अगर मैच रीशेड्यूल नहीं हो पाया, तो जिस टीम की वजह से ऐसा होगा, उसे 3-0 से हारा हुआ माना जाएगा।