16 Days Of Activism : ज़ारी है महिला हिंसा के ख़िलाफ़ एक अंतरराष्ट्रीय अभियान|

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दुनियाभर में 16 Days Of Activism या 16 दिवसीय अभियान जारी है। आपने भी अपने सोशल मीडिया की वॉल पर इस अभियान से जुड़ी कोई न कोई पोस्ट ज़रूर देखी होगी या अख़बार में इससे संबंधित कोई गतिविधि के बारे में ज़रूर पढ़ा होगा। पर ये अभियान है क्या? हर साल ये क्यों मनाया जाता है? ये सवाल इसका उद्देश्य क्या है? ऐसे कई सवाल आपके मन में भी कभी न कभी ज़रूर आते होंगें। तो आइए जानते है इस 16 दिवसीय अभियान के बारे में।

देश-समाज चाहे जो भी हो ‘महिला हिंसा’ के बारे में हम आए दिन सुनते है। कोरोना महामारी का दौर हो या सामान्य दिन महिला हिंसा से जुड़ी खबरें और रिपोर्ट हमेशा सामने आती रही है और लगातार आ भी रही है। अगर बात करें अपने देश भारत की तो यहाँ बाल विवाह, बलात्कार, यौन उत्पीड़न, एडिस अटैक और घरेलू हिंसा जैसे अलग-अलग रूप में आधी आबादी को हिंसा का सामना करना पड़ता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार हर 3 में से 1 महिला अपने जीवन में एक न एक बार ज़रूर किसी तरह की हिंसा की शिकार होती है। लेकिन कोरोना महामारी के दौर में महिला हिंसा का भी वीभत्स रूप देखने को मिला।महिला संयुक्त राष्ट्र की तरफ़ से क़रीब 13 देशों में किए गए सर्वे के अनुसार कोरोना महामारी के दौरान हर 3 में से 2 महिलाओं ने किसी न किसी तरह की हिंसा और यहाँ तक की खाने के संकट का भी सामना किया। इसमें दुर्भाग्य की बात ये है कि हिंसा की शिकार होने वाली 10 महिलाओं में से सिर्फ़ 1 महिला को ही पुलिस की मदद मिल पाती है। महिला हिंसा से जुड़े ये आँकड़े डरा देने वाले है और जब हम इन आँकड़ों पर ग़ौर करेंगें तो ये किसी युद्द जैसी स्थिति मालूम होती है। ऐसे स्थिति में सवाल ये है कि क्या है ये 16 दिवसीय अभियान और इससे महिला हिंसा को कैसे रोका जा सकता है?

16 दिवसीय अभियान एक अंतर्राष्ट्रीय अभियान है, जो 25 नवंबर (अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस ) से 10 दिसंबर (अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस) तक मनाया जाता है। इस अभियान की शुरुआत साल 1991 में विमेन ग्लोबल लीडरशिप इन्स्टिटूट के उद्द्घाटन के दौरान एक्टिविस्टों के माध्यम से की गयी और हर साल इसे सेंटर फ़ॉर विमेन ग्लोबल लीडरशिप के माध्यम से जारी रखा जा रहा है। हर साल सोलह दिन मनाए जाने वाले इस अभियान में दुनियाभर की सरकारी व ग़ैर-सरकारी संगठन एकजुट होकर महिला हिंसा ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद करती है और ये आवाज़ अलग-अलग माध्यमों (अभियान व ज़न-जागरूकता कार्यक्रम) से समुदाय स्तर तक पहुँचाया जाता है। इस पूरे अभियान का मुख्य उद्देश्य महिला हिंसा के मुद्दे को मज़बूती से उजागर कर, इसे दूर करने की दिशा में बुनियादी और मज़बूत कदम उठाना है। अगर सरल शब्दों में कहें तो ये पूरा अभियान महिला हिंसा के ख़िलाफ़ काम करने वाले लोगों और संगठनों के लिए एकजुट होकर आवाज़ उठाने और काम करने का एक अंतर्राष्ट्रीय बुलावा है।

16 दिवसीय अभियान एक ऐसा अंतर्राष्ट्रीय अवसर है जब सरहद के फ़ासलों से इतर पूरी दुनिया में महिला हिंसा का विरोध करने वाले लोग और संगठन एकसाथ महिला हिंसा के ख़िलाफ़ एकजुट होकर अपनी आवाज़ बुलंद करते है और देश-दुनिया के भेद से परे महिला हिंसा के अलग-अलग रूप और इस गंभीर समस्या को उजागर करते है। साथ ही, ये पूरा अभियान उन सभी लोगों और संगठनों को एकजुट होने का संदेश भी देता है और उन्हें ये विश्वास दिलाता है कि वे इस लड़ाई में अकेले नहीं है। इस अभियान के माध्यम से आमजन को ये भी संदेश दिया जाता है कि देशव्यापी आवाज़ों की एकजुटता किस तरह समुदाय में महिला हिंसा के ख़िलाफ़ बड़े बदलाव का सूत्रधार हो सकती है। 

हर साल इस अभियान की एक थीम भी निर्धारित की जाती है, जिसके आधार पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोग और संगठन इस अभियान में अपनी भागीदारी करते है। इस साल इस अभियान की थीम है – ‘ऑरेंज द वर्ल्ड : महिला हिंसा को अभी ख़त्म करो!’ महिला हिंसा एक बड़ा मुद्दा है और इसकी परतें इतनी ज़्यादा मोटी है कि हिंसा के रूप की पहचान करना भी जटिल हो जाता है। इसलिए कुछ संस्थाएँ हर साल इस महिला हिंसा के अंतर्गत एक विषय का चुनाव करती है, जिससे हर साल महिला हिंसा से जुड़े किसी एक मुद्दे को मज़बूती से उजागर किया जा सके। इन्हीं संस्थाओं में से एक है – क्रिया।

नई दिल्ली में स्थिति ‘क्रिया’, एक नारीवादी संस्था है। इस साल क्रिया की तरफ़ से इस 16 दिवसीय अभियान के अंतर्गत जिस मुद्दे को उजागर किया है, उसे अक्सर हम महिला हिंसा का उपाय मानते है और उसे लागू करना ही महिला हिंसा उन्मूलन के साधन के रुप में सदियों से इस्तेमाल करते आ रहे है, वो है – महिला सुरक्षा।

जब भी हम महिला हिंसा की बात करते है तो इसके उन्मूलन की बजाय अधिकतर महिला सुरक्षा की बात करते है। अलग-अलग पाबंदियों वाले सुरक्षा नियम से हम महिला हिंसा को रोकने की बात तो करते है, लेकिन वास्तव में पाबंदियों वाले ये सुरक्षा नियम महिला अधिकारों की हिंसा करते है और उन्हें उनके बुनियादी मानवाधिकारों से दूर करते हैं। सुरक्षा के नामपर महिला अधिकारों की हिंसा के मुद्दों को क्रिया ने ‘मुझे नहीं, मेरे अधिकारों को सुरक्षित करो!’ के संदेश के साथ अपने 16 दिवसीय अभियान में केंद्रित कर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड राज्य के अलग-अलग ज़िलों में समुदाय स्तर पर प्रभावी कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है।

हर साल महिला हिंसा के ख़िलाफ़ उठने वाली आवाज़ों को एकजुट कर मज़बूत करने की दिशा में ये 16 दिवसीय अभियान अहम भूमिका अदा करता है। ये अभियान न केवल महिला मुद्दों पर आमजन की समझ को बढ़ाने व ज़न-जागरूकता विस्तार का काम कर रहा है, बल्कि समुदाय स्तर की आवाज़ों को देशव्यापी स्तर तक पहुँचाने में भी प्रभावी है। इसलिए अगर आप भी महिला हिंसा के ख़िलाफ़ है तो अभियान से जुड़िए।

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